स्वाति नक्षत्र की भूमिका एव उपयोग
0 डिग्री से लेकर 360 डिग्री तक सारे नक्षत्रों का नामकरण इस प्रकार किया गया है- अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती। 28वां नक्षत्र अभिजीत है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली से की जाने वाली गणनाओं के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले सताइस नक्षत्रों में से स्वाति को 15वां नक्षत्र माना जाता है। स्वाति का शाब्दिक अर्थ है स्वत: आचरण करने वाला अथवा स्वतंत्र तथा वैदिक ज्योतिष स्वाति शब्द को स्वतंत्रता, कोमलता तथा तलवार के साथ जोड़ता है तथा स्वाति के ये विभिन्न अर्थ इस नक्षत्र को विभिन्न विशेषताओं के साथ जोड़ते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार हवा में झूल रहे एक छोटे पौधे को स्वाति नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। छोटा पौधा कोमल होता है जिसके चलते स्वाति नक्षत्र का कोमलता के साथ संबंध जुड़ जाता है। तीव्र हवा में अपना अस्तित्व बचाने का प्रयास करता हुआ यह छोटा पौधा स्वतंत्रता, अस्तित्व बनाए रखने की प्रवृति तथा संघर्ष करने की क्षमता का संकेत देता है तथा इस पौधे के द्वारा प्रदर्शित ये विशेषताएं भी स्वाति नक्षत्र के माध्यम से प्रदर्शित होतीं हैं। कुछ वैदिक ज्योतिषी मूंगे को भी स्वाति नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह मानते हैं। मूंगे को एक ऐसे पौधे के रूप में जाना जाता है जो अपना विकास तथा प्रजनन करने में स्वयं ही सक्षम होता है तथा इसे अपना विकास और प्रजनन करने के लिए किसी बाहरी सहायता की आवश्यकता नहीं होती। स्वाति नक्षत्र का यह प्रतीक चिन्ह भी स्वतंत्रता तथा आत्म-निर्भरता को दर्शाता है तथा इस प्रकार स्वाति नक्षत्र का संबंध स्वतंत्रता, कोमलता, आत्म-निर्भरता, कोमलता तथा संघर्ष करने की क्षमता के साथ जुड़ जाता है।
स्वाति नक्षत्र और व्यवसाय की जानकारी
स्वाति नक्षत्र का विस्तार तुला राशि में 6 अंश(Degree) 40 कला(Minute) से 20 अंश तक रहता है. स्वाति नक्षत्र राहु का नक्षत्र माना गया है और तुला राशि को बनिक राशि भी कहा गया है इसलिए इस नक्षत्र के अन्तर्गत दुकानदार, व्यापारी आदि आते हैं.
इसके अलावा कुश्ती लड़ने वाले पहलवान, हर तरह के खेल-कूद, श्वास नियंत्रण पर आदहरित विभिन्न कार्य, गाना, मुँह से बजने वाले वाद्य यंत्र बजाना, खोजी अन्वेषक, प्रोद्यौगिकी विशेषज्ञ, स्वावलंबी उद्यमी, सरकारी सेवा, विमान उद्योग, परिवहन सेवा, समाचार वाचक, मंच संचालक, कंप्यूटर व सोफ्टवेयर, शीघ्र निर्णय पर आधारित व्यवसाय, साफ-सफाई व संरक्षण के कार्य आदि इस नक्षत्र के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.
पतंग बनाना व उड़ाना, गुब्बारे से उड़ना, आकाश में करतब दिखाना, शिक्षक, प्रशिक्षक, वकील, न्यायाधीश, श्रमिक नेता, परिचारिका आदि कार्य इस नक्षत्र के अन्तर्गत माने गए हैं. मूल रुप से स्वाति नक्षत्र के देवता पवन देव हैं जिससे दबावयुक्त वायु पर आश्रित सभी यंत्र, उपकरण, गतिशीलता, प्रवाह, त्वरित बुद्धि और वायु भरे गुब्बारे या पैराशूट, ग्लाइडर आदि जैसे सभी कार्य स्वाति नक्षत्र के अधिकार में आते हैं.
पशु, पक्षी, घोड़े, वाहन, गैस पंक्चर लगाना, पैट्रोल व्यवसाय, तपस्वी, जंगली जानवरों को साधने का काम, कृषि, भण्डार करना, तेजी आने पर सामान बेचना, हवाई यात्रा, वातानुकूलन, यात्रा आदि भी स्वाति नक्षत्र के अन्तर्गत मानी गई है.
स्वाति नक्षत्र के दौरान पूरा चन्द्रमा ( चित्र ) Apiral 29 - 30 2018
इस ब्लॉग को शेयर जरुर करे ।
No comments:
Post a Comment